Pandit Ji Ujjain
पित्र दोष निवारण पूजा
पित्र दोष निवारण पूजा
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पितृ दोष क्या है?
पितृ दोष जन्मकुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण उत्पन्न होने वाला एक ज्योतिषीय दोष है। ऐसा माना जाता है कि यदि पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट रह जाती है या परिवार के किसी सदस्य ने पितरों/बुजुर्गों का अपमान किया हो या कुछ विशेष धार्मिक कर्तव्यों का पालन न किया गया हो, तो पितृ दोष लगता है।
इसके प्रभाव से जीवन में बार-बार अवरोध, संतान सुख में कमी, आर्थिक परेशानी, अशांति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं।
पितृ दोष के प्रमुख लक्षण
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संतान प्राप्ति में बाधा, संतानहीनता
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आर्थिक तंगी, धन की हानि
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पारिवारिक क्लेश, बार-बार झगड़े
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मानसिक चिंताएं, स्वास्थ्य समस्याएं
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विवाह में देरी या संबंध न टिकना
उज्जैन में पितृ दोष निवारण पूजा का महत्व
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उज्जैन के सिद्धवट घाट, महाकालेश्वर और अन्य पवित्र स्थानों पर पितृ दोष पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है।
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यहाँ योग्य और अनुभवी पंडित शास्त्र-सम्मत विधि से पूजा-अर्चना करवाते हैं।
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क्षिप्रा नदी में स्नान एवं पिंडदान, तर्पण, हवन तथा ब्राह्मण भोज जैसे प्रमुख अनुष्ठान किए जाते हैं।
पितृ दोष निवारण पूजा की विधि
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उचित मुहूर्त का चयन: अमावस्या, पितृ पक्ष, या किसी विशेष शुभ तिथि।
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क्षिप्रा नदी में स्नान: तन-मन की शुद्धि के लिए।
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गणपति पूजन: सभी अनुष्ठानों की शुरुआत में।
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तर्पण एवं पिंडदान: जल, तिल, जौ तथा अन्य सामग्रियों के साथ पितरों को प्रसन्न किया जाता है।
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नारायण नागबली या त्रिपिंडी श्राद्ध: कुछ स्थानों पर यह विशेष विधान किया जाता है।
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विशेष मंत्रों व हवन: वेद मंत्र, पितृ गायत्री या नारायण मंत्र का जाप और आहुति।
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ब्राह्मण भोजन और दान: 13 ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है।
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गौ एवं पीपल पूजन: गाय और पीपल के वृक्ष को अर्पण व पूजन करना अतिरिक्त फलदायी होता है।
पूजा से होने वाले लाभ
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